जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay

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जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठ प्रतिभा थे दिवेदी युग की स्थूल और इतिवृत्तात्मक कविता-धारा की सूक्ष्म भाव सौन्दर्य, रमणीयता एवं माधुर्य से परिपूर्ण कर प्रसादजी ने नवयुग का सूत्रपात किया। ये छायावाद के प्रवर्तक, उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवि होने के साथ ही नाटककार एवं कहानीकार भी रहे।

जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

पूरा नाम (Name)जयशंकर प्रसाद
जन्म (Date of birth)30 जनवरी 1889
आयु ( Age )47 साल
जन्म स्थान ( Birth Place )काशी , उत्तर प्रदेश
मृत्यु की तारिक (Date of Death )15 जनवरी 1937
स्कूल ( school )क्वींस कालेज , काशी
शिक्षा (Education)संस्कृत, हिंदी, उर्दू, और फारसी
लेखन विधा ( writing style )काव्य ,नाटक , उपन्यास ,निबंध
भाषा ( Language )संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली
शैली ( Style )प्रबन्ध काव्य एवं मुक्तक
प्रमुख रचनाएँ (major works )कामायनी, आँसू, लहर, झरना,
चित्राधार, कानन कुसुम, प्रेम पथिक
पिता का नाम (father’s name )देवीप्रसाद
माँ का नाम (Mother Name)श्रीमती मुन्नी देवी
पितामह ( paternal grandfather )बाबू शिवरतन साहू

जीवन परिचय –

जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के प्रसिद्ध वैश्य परिवार में 30 जनवरी, 1889 ई0 को हुआ था। इनका परिवार ‘सुंघनी साहू’ के नाम से प्रसिद्ध था।

प्रसादजी के पिता देवीप्रसाद स्वयं साहित्य प्रेमी थे। इस प्रकार प्रसादजी को जन्म से ही साहित्यिक वातावरण प्राप्त हुआ। प्रसादजी ने 9 वर्ष की आयु में ही एक कविता की रचना की जिसे पढ़कर इनके पिता ने इन्हें महान् कवि बनने का आशीर्वाद दिया।

प्रसादजी ने बाल्यावस्था में ही अपने माता-पिता के साथ देश के विभिन्न तीर्थस्थानों की यात्रा की। कुछ समय बाद ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी। इनकी शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध बड़े भाई श्री शम्भूनाथ जी ने किया। सर्वप्रथम इनका नाम ‘क्वींस कालेज’ में लिखाया गया, किन्तु वहाँ इनका मन नहीं लगा और घर पर ही योग्य शिक्षकों से अंग्रेजी और संस्कृत का अध्ययन करने लगे।

जब आप 17 वर्ष के थे तभी बड़े भाई शम्भूनाथ जी की मृत्यु हो गयी। इन्होंने तीन शादियों कीं, किन्तु तीनों ही पत्नियों की असमय मृत्यु हो गयी। इसी बीच इनके छोटे भाई की मृत्यु हो गयी। इन सभी असामयिक मौतों से यह अन्दर ही अन्दर टूट गये संघर्ष और चिन्ताओं ने स्वास्थ्य को बहुत हानि पहुंचायी क्षय रोग से पीड़ित होने के कारण 15 नवम्बर, 1937 ई0 को 47 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया।

साहित्यिक-परिचय –

साहित्यिक-परिचय- श्री जयशंकर प्रसाद छायावाद ‘के प्रवर्तक, उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवि होने के साथ-साथ युग प्रवर्तक, नाटककार, कथाकार तथा उपन्यासकार भी थे। इनकी कामायनी सबसे प्रसिद्ध रचना है जिसमें छायावाद के प्रवृत्ति एवं विशेषताओं को बताया गया है। जयशंकर प्रसाद छायावादी युग के सर्वश्रेष्ठ कवि है। प्रेम और सौन्दर्य इनके मुख्य विषय हैं

काव्य कृतियाँ –

  • चित्राधार
  • कानन कुसुम
  • झरना
  • लहर
  • प्रेम पथिक
  • आँसू
  • कामायनी
  • आत्मकथ्य
  • महाराणा का महत्व

नाटक –

  • राज्यश्री
  • विशाख
  • जनमेजय का नागयज्ञ
  • अजातशत्रु
  • चन्द्रगुप्त
  • स्कन्दगुप्त
  • ध्रुवस्वामिनी
  • एक घूंट
  • राज्यश्री

कहानी संग्रह –

  • आंधी
  • प्रतिध्वनी
  • आकाशदीप
  • इंद्रजाल
  • सन्देह
  • दासी
  • चित्रा मंदिर

उपन्यास –

  • कंकाल
  • तितली
  • इरावती

जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ –

  • हिमालय का पथिक
  • स्वर्ग के खंडहर में
  • सिकंदर की शपथ
  • व्रत-भंग
  • रूप की छाया
  • रसिया बालम
  • रमला
  • ममता
  • मधुआ
  • मदन-मृणालिनी
  • भीख में
  • भिखारिन
  • बेड़ी
  • बिसाती
  • पाप की पराजय
  • पत्थर की पुकार
  • प्रणय-चिह्न
  • चित्तौर-उद्धार
  • खंडहर की लिपि
  • कलावती की शिक्षा
  • अघोरी का मोह
  • अमिट स्मृति
  • अनबोला
  • अशोक
  • आकाशदीप
  • उर्वशी
  • करुणा की विजय
  • उस पार का योगी
  • पंचायत
  • प्रतिमा
  • प्रतिध्वनि
  • दुखिया
  • दासी
  • नीरा
  • ज्योतिष्मती
  • छोटा जादूगर
  • गुदड़ी में लाल

साहित्यिक विशेषताएँ –

जयशंकर प्रसाद आज तक के हिन्दी साहित्य के महानतम कवियों एवं लेखकों में से एक माने जाते है। इनके काव्य का मुख्य तत्त्व प्रेमानुभूति एवं सौन्दर्यानुभूति है। इनकी अधिकांश रचनाओं में देश के प्रति बलिदान, त्याग, समर्पण तथा देशवासियों के प्रति करुणा आदि भावों का वर्णन मिलता है। प्राकृतिक पदार्थों पर मानवीय भावनाओं का आरोप करना इनके प्रकृति चित्रण की अनूठी विशेषता रही है। इनकी रचनाओं में प्रेम के जिस रूप का वर्णन किया गया है वह दैहिक नहीं वरन आत्मिक है। कविवर प्रसाद शैव दर्शन के अनुयायी थे। अतः इनके दार्शनिक विचारों पर शैव दर्शन का स्पष्ट प्रभाव है।

भाषा शैली –

प्रसाद जी की भाषा साहित्यिक हिन्दी भाषा है, जिसमें संस्कृतनिष्ठ शब्दावली की प्रधानता है इनकी भाषा में ओज, माधुर्य और प्रसाद तीनों गुण विद्यमान है। इनकी भाषा सरल, सहज, स्वाभाविक एवं विषयानुकूल है। इनकी भाषा में तत्सम तद्‌भव, देशज, विदेशज आदि सभी प्रकार के शब्द मिलते है। इन्होंने लाक्षणिक शब्दावली के प्रयोग द्वारा अपनी रचनाओं में मार्मिक सौन्दर्य की सृष्टि की है। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग से इनकी भाषा सशक्त बन गई है। इनकी अलंकार योजना उच्चकोटि की है। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि इनके प्रिय अलंकार है।

ये भी पढ़े ?

FAQ

Q – जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था ?

Ans – 30 जनवरी 1889

Q – जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ कोण सी है ?

Ans – कामायनी, आँसू, लहर, झरना, चित्राधार, कानन कुसुम, प्रेम पथिक

Q – जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कब हुई थी ?

Ans – 15 जनवरी 1937

Q – जयशंकर प्रसाद का अंतिम नाटक कौन सा था ?

Ans – कामायनी

Q – जयशंकर प्रसाद का पहला नाटक कौन सा था ?

Ans – राजश्री

Q – जयशंकर प्रसाद के बड़े भाई का क्या नाम था ?

Ans – शम्भू रत्न

Q – जयशंकर प्रसाद के पिता का क्या नाम था ?

Ans – देवीप्रसाद

Q – जयशंकर प्रसाद के बाबा का क्या नाम था ?

Ans – बाबू शिवरतन साहू



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